23 April, 2017

FRBM Act समीक्षा समिति (PART : 2)


भाग - 2

                                            इस भाग में मैं एनके सिंह समिति की उन सिफारिशों का उल्लेख करूंगा जो उन्होंने एफआरबीएम रिव्यू कमेटी की हैसियत से दी है -



  1. एक राजकोषीय परिषद का गठन किया जाना चाहिए। यह परिषद स्वायत्तशासी परिषद होगी जो वित्त मंत्रालय के अधीन रहकर कार्य करें। इसमें 3 सदस्य होंगे एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य। वित्त मंत्रालय के अधीन सभी प्रकार के राजकोषीय अधिकार इसी परिषद को दिये जाने चाहिए। यह परिषद भावी फ्रेमवर्क और वैश्विक आर्थिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए राजकोषीय नीति का निर्माण करेगी तथा सरकार को राजकोषीय मामलों में परामर्श देगी।
  2. वर्ष 2022-23 तक सरकार को जीडीपी एवं ऋण का अनुपात 60 : 40 का करना होगा। अर्थात कुल जीडीपी का 60% (संघ का 40% तथा 20% राज्यों हेतु) से अधिक ऋण नहीं होने चाहिए। वर्तमान में लगभग 50% ऋण केंद्र सरकार के तथा 21 प्रतिशत ऋण राज्य सरकारों के हैं। ऐसे में कुल जीडीपी का 71 प्रतिशत ऋण वर्तमान में है जिन्हें कम कर के 60% करना है।
  3. राजस्व घाटा 2022-23 के वित्त वर्ष तक जीडीपी का 0.8% तक लाना है। वर्ष 2018-19 में 1.8% के दायरे में तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष  0.25% कम करना है।
  4. राजकोषीय घाटे के संदर्भ में समिति ने सिफारिश दी है कि वर्ष 2023 तक जीडीपी के 2.5% से अधिक राजकोषीय घाटा नहीं होना चाहिए। 2020 तक यह 3% तथा 2021 तक 2.8 % तक के दायरे में होना चाहिए।
                                 
                                           समिति ने राजकोषीय घाटे के इन लक्ष्यों में कुछ स्थितियों में राहत भी दी है, जैसे- राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय आपदा , युद्ध जन्य स्थिति हो, कृषिगत फसलों की बर्बादी हो या सरकार के राजकोषीय क्षेत्र में ढांचागत प्रयासों के चलते अगर यह लक्ष्य पूर्ण न हो तो सरकार को राहत दी गयी है। समिति ने यह भी बताया है कि राजकोषीय घाटे का यह लक्ष्य 0.5% के दायरे में रहकर भी पूर्ण किया जा सकता है।
                                           समिति के सदस्य अरविंद सुब्रमण्यम ने राजकोषीय घाटे को इस प्रकार अधिक महत्व दिए जाने का विरोध किया और कहा कि प्राथमिक घाटे को महत्व दिया जाना चाहिए।


धन्यवाद

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