राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2003 समीक्षा समिति (NK सिंह समिति)
यह आलेख में दो भागों में लिख रहा हूँ -
1. प्रथम भाग :
- FRBM एक्ट का परिचय
- 2004 से 2016 तक की प्रगति
- FRBM एक्ट 2003 समीक्षा समिति
2. दूसरा भाग :
- FRBM एक्ट 2003 समीक्षा समिति की सिफारिशें
भाग - 1
राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम, 2003 (FRBM Act, 2003) समीक्षा समिति पर जाने से पहले मैं राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 अर्थात् एफआरबीएम एक्ट, 2003 के संबंध में संक्षिप्त जानकारी देना चाहूंगा।
परिचय :-
वैश्वीकरण के बाद सरकार के कर्ज़ में लगातार वृद्धि हो रही थी अर्थात् राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा था तथा राजकोषीय अनुशासन का पूर्ण प्रभाव देखा जा रहा था। कोई भी सरकार इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रही थी और बढ़ते राजकोषीय घाटे के परिणाम भी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल पड़ रहे थे।
ऐसे में राजकोषीय अनुशासन स्थापित करने, राजकोषीय घाटे तथा राजस्व घाटे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में FRBM एक्ट लाया गया। इस एक्ट के माध्यम से सरकार के लिए राजकोषीय घाटे तथा राजस्व घाटे से संबंधित कुछ लक्ष्य रखे गए, जिन्हें सरकार को पूरे करने अनिवार्य थे। एफआरबीएम एक्ट ने निम्नलिखित लक्ष्य रखे -
- राजकोषीय अनुशासन को स्थापित करना।
- 31 मार्च, 2008 तक सभी राज्य सरकारों तथा संघ सरकार को अपनी जीडीपी का 0% राजस्व घाटा
- 31 मार्च, 2008 तक राजकोषीय घाटे को GDP के 3% के दायरे में लाना।
वर्ष 2004 में उक्त उद्देश्यों के साथ FRBM एक्ट लागू किया गया।
2004 से 2016 तक की प्रगति :-
वर्ष 2007 में घरेलू आर्थिक संकट तथा 2008 के अमेरिका के सब प्राइम संकट जैसे कारणों के चलते सरकार 2008 तक उपर्युक्त लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाई। वर्ष 2011 में जैसे ही सब प्राइम संकट और घरेलू मंदी का दौर दूर हुआ, वैसे ही 2012 में एफआरबीएम एक्ट को संशोधित किया गया। संशोधन के उपरांत सरकार के लिए निम्न नए लक्ष्य तय किए गये -
- प्रभावी राजस्व घाटा (ERD) की नवीन अवधारणा दी तथा सभी राज्य सरकारों तथा संघ सरकार को लक्ष्य दिया कि 31 मार्च, 2017 तक प्रभावी राजस्व घाटा शून्य प्रतिशत करें।
(ERD = RD - ऐसे व्यय जो राजस्व मद से स्वीकृत हुए लेकिन पूंजीगत भाग में व्यय किये गए)
- राजस्व घाटा जीडीपी का 1.5% से अधिक नहीं होना चाहिए यह लक्ष्य सभी राज्य सरकारों तथा संघ सरकार को दिया।
- 31 मार्च 2017 तक जीडीपी का 3% से अधिक राजकोषीय घाटा नहीं होना चाहिए। लेकिन इन नवीन लक्ष्यों को भी सरकार पूरा करने में नाकाम रही।
FRBM एक्ट 2003 समीक्षा (NK सिंह समिति) :-
पिछले 12 वर्षों के दौरान FRBM एक्ट की प्रगति की समीक्षा तथा वैश्विक अनिश्चितताओं के अनुसार एक्ट में परिवर्तन करने हेतु मई, 2016 में एफआरबीएम एक्ट, 2003 की समीक्षा के लिए एक समिति बनाई। 5 सदस्य इस समिति की अध्यक्षता एन.के.सिंह ने की तथा अन्य सदस्य के रूप में उर्जित पटेल तथा अरविंद सुब्रमण्यम भी शामिल थे। इस समिति ने जनवरी 2017 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे 13 अप्रैल, 2017 को प्रकाशित किया गया। इस समिति ने कुल 4 रिपोर्ट प्रस्तुत की है -
- राजकोषीय नीति से संबंधी मुद्दों का अध्ययन।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे OECD, विश्व बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन इत्यादि का भारतीय राजकोषीय नीति के संबंध में मत।
- केंद्र राज्य राजकोषीय संबंध।
- राजकोषीय नीति संबंधी विद्वानों का दृष्टिकोण।
अब आगामी संसद सत्र में अगर सरकार इन रिपोर्ट्स को संसद से पारित करवाती है तो FRBM एक्ट, 2003 का स्थान DMFR एक्ट ( Debt Management and Fiscal Responsibility Act) ले लेगा।
धन्यवाद
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