स्वतंत्र भारत का 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद सबसे बड़े कदम के रूप में जिन सुधारों को देखा गया है वह है जीएसटीा मैं ( Ganpat Singh) जीएसटी के मुद्दे को आलेख द्वारा आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं-
★ जीएसटी क्या है ?
★ इसमें कितने स्तर होंगे ?
★ कौन से कर खत्म होंगे ?
★ इस का नियंत्रण किसके द्वारा किया जाएगा ?
★ इसमें कितने स्तर होंगे ?
★ कौन से कर खत्म होंगे ?
★ इस का नियंत्रण किसके द्वारा किया जाएगा ?
© जीएसटी है क्या?
जीएसटी अर्थात वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली इस प्रणाली के अंतर्गत संघ सरकार एवं राज्य सरकारों के अधिकांश अप्रत्यक्ष करों के स्थान पर एक यूनिफार्म कर सिस्टम विकसित किया जाएगा।
सर्वप्रथम अटल बिहारी वाजपेई जी के काल में केलकर समिति की सिफारिशों के आधार पर एक यूनिफार्म कर प्रणाली की सिफारिश की गई थी वर्ष 2000 में आई इस सिफारिश के उपरांत कई वर्षों तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया तत्पश्चात कई दफा संसद में जीएसटी विधेयक लाया गया लेकिन पक्ष विपक्ष के गतिरोध के कारण कभी भी यह विधेयक अधिनियम का रूप नहीं ले सका ।
वर्ष 2016 में 122 वां विधेयक जीएसटी से संबंधित लाया गया जिसे 101 में संविधान संशोधन के रूप में पहचान मिली । इस पहचान के बाद एक जुलाई 2017 से भारत में जीएसटी सिस्टम लागू हो जाएगा । जीएसटी लाने के लिए सातवीं अनुसूची में उल्लिखित पुरानी करप्रणाली में से कई करों को हटाना आवश्यक था। अतः करो को हटाने के लिए संविधान संशोधन करना जरूरी था। यही कारण है कि जीएसटी को कानूनी रूप देने के लिए 101वां संविधान संशोधन किया चूँकि केंद्र सरकार द्वारा इसे धन विधेयक के रूप में पारित करवा कर राज्यसभा की भूमिका को नकारा गया जोकि संसदीय प्रणाली के लिए अच्छे संकेत नहीं है
© खत्म होने वाले कर?
इसके अंतर्गत #केंद्र_सरकार के सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, काउंटर वेलिंग ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी, सर्विस टैक्स, सेंट्रल सेल टैक्स तथा विभिन्न प्रकार के सेस एवं सर चार्ज खत्म होंगे तथा उनके स्थान पर एकमात्र टैक्स CGST अर्थात सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स वसूला जाएगा तथा #राज्य_सरकारों के राज्य वेट, सेल टैक्स, मनोरंजन कर, ऑक्ट्रोइ , एंट्री कर जैसे अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो जाएंगे तथा उसके स्थान पर स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स (SGST) अध्यारोपित होगा |
© GST का दोहरा स्तर-
इस प्रकार जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत संपूर्ण भारत में दोहरी प्रणाली विकसित की जाएगी इस दोहरी प्रणाली में #प्रथमस्तर पर CGST जिसके अध्यारोपण एवं संग्रहन का दायित्व संघ सरकार का होगा तथा प्राप्त राजस्व पर भी संघ सरकार का हक होगा तथा #दूसरेस्तर पर राज्य जीएसटी(SGST) जिसका संग्रहण राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा तथा प्राप्त राजस्व राज्य राजस्व का हिस्सा होगा | राजकोषीय संघवाद के लिए यह दोहरी सरचना जरूरी है |
जीएसटी प्रणाली के अंतर्गत कुल 4 प्रकार के कर की दर निर्धारित की है यथा मूलभूत एवं आवश्यक वस्तुओं पर 5%, कम जरूरी वस्तुओं पर 12 एवं 18 प्रतिशत, तथा विलासी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी वसूल किया जाएगा |
विभिन्न राज्यों के मध्य होने वाले व्यापार पर पहले सेंटरल सेल टैक्स लगता था उसके स्थान पर अब इंटीग्रेटेड जीएसटी (IGST) व्यवस्था लाई जाएगी इस व्यवस्था से निर्यातक राज्यों को जहां राजस्व क्षति होगी वही आयातक राज्यों को लाभ होगा उस राजस्व क्षति को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने जीएसटी कानून के साथ क्षतिपूर्ति कानून की व्यवस्थ भी की है जो आगे की 5 वर्षों तक राज्यों को क्षतिपूर्ति के रूप में केंद्र सहायता करेगा यह सहायता राशि विलासी वस्तुओं पर सेस लगाकर प्राप्त की जाएगी।
© GST परिषद-
संपूर्ण जीएसटी प्रणाली पर नियंत्रण हेतु जीएसटी परिषद का गठन होगा । जीएसटी परिषद जीएसटी लागू होने अर्थात 1 जुलाई 2017 के 2 महीने बाद 1 सितम्बर 2017 से कार्य करना शुरू करेगा । जीएसटी परिषद की व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 279-A में की गई है। इसका गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा तथा अध्यक्षता वित्त मंत्री द्वारा की जाएगी तथा सदस्यों के रूप में सभी राज्यों के वित्तमंत्री शामिल होंगे एवं जीएसटी परिषद का फैसला में राज्यो को 2/3 अधिकार तथा 1/3 अधिकार केंद्र को दिया जाएगा।
जीएसटी परिषद के कार्य निम्नलिखित होंगे करो का अध्यारोपण करना कौन सी वस्तुओं को करो के दायरे से बाहर रखना कौन सी वस्तुओं को कर्म के दायरे के अंदर रखना करों की दरों का निर्धारण कर वसूली की प्रक्रिया तथा जीएसटी से संबंधित सभी प्रकार के कार्य जीएसटी परिषद द्वारा संपादित किए जाएंगे
प्रभाव -
© सकारात्मक_प्रभाव
★ अभी तक भारत भर में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष कर प्रचलन में है ,जैसे -उत्पादन शुल्क ,राज्य सीमा शुल्क, सेल टैक्स ,सर्विस टैक्स तथा वेट इत्यादि ।इन करो की बहुलता के कारण कर पर कर (Cascading Effect) लागू हो जाता है जिसके कारण वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती है , लेकिन जीएसटी लागू होने के उपरांत केवल दो प्रकार के कर ही लगेंगे सीजीएसटी (CGST) एवं सजीएसटी (SGST) । इससे कैसेकैडिंग प्रभाव के खत्म होने के परिणाम स्वरुप वस्तुओं की कीमतें कम होगी तथा निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा एवं निर्यातों को बढ़ावा मिलेगा इत्यादि ।
★ जीएसटी लागू होने से विभिन्न प्रकार के सेस(cess) व सर चार्ज (surcharge) खत्म हो जाएंगे, परिणाम स्वरुप वस्तुओं की कीमतें कम होगी।
★ जीएसटी लागू होने से एक राष्ट्र एक बाजार की अवधारणा साकार होगी अर्थात यूनिफॉर्म मार्केट बनेगा जिसका अभिप्राय होगा कि संपूर्ण भारत में वस्तुओं की कीमतें एक समान रहेगी इसका परिणाम इस रुप में देखा जा सकता है कि इज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत का स्थान उच्च होगा जिससे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा ,मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन मिलेगा तथा निर्यात संवर्धन होगा।
★जीएसटी लागू होने से वस्तुओं के परिवहन की लागत कम होगी अभी वर्तमान में अगर महाराष्ट्र से हिमाचल प्रदेश जाना है तो करीब 8 राज्यों की सीमा पर सीमा शुल्क देना पड़ता है तथा इस दौरान परिवहन समय में भी वृद्धि हो जाती है इस कारण ना केवल वस्तुओं की मात्रा में क्षति होती है , बल्कि परिवहन लागत बढ़ने से कीमतों में भी वृद्धि होती है ।
★जीएसटी लागू होने से वस्तुओं के परिवहन की लागत कम होगी अभी वर्तमान में अगर महाराष्ट्र से हिमाचल प्रदेश जाना है तो करीब 8 राज्यों की सीमा पर सीमा शुल्क देना पड़ता है तथा इस दौरान परिवहन समय में भी वृद्धि हो जाती है इस कारण ना केवल वस्तुओं की मात्रा में क्षति होती है , बल्कि परिवहन लागत बढ़ने से कीमतों में भी वृद्धि होती है ।
★जीएसटी लागू होने से कर चोरी में भी कमी आएगी, क्योंकि जीएसटी पूर्णता ऑनलाइन तथा इंटरनेट पर आधारित प्रणाली है , कर चोरी कम होने से कर का दायरा बढ़ेगा जिससे सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी। राजस्व में वृद्धि सरकार की आधारभूत संरचना पर व्यय तथा कल्याणकारी योजनाओं पर व्ययन की क्षमता को बढ़ाएगा।
★ जीएसटी के अंदर आईजीएसटी (IGST) का वितरण आयातक राज्य को किया जाएगा जिससे कम विकसित राज्य को ज्यादा संसाधन प्राप्त होंगे इससे भारत में भौगोलिक क्षेत्रवादी असमानताएं कम होगी तथा अल्पविकसित राज्यों को भी विकास के समान अवसर प्राप्त होंगे।
★ जीएसटी परिषद में राज्यों को दो तिहाई मतदान की शक्तियां देने तथा जीएसटी संबंधी नीति निर्माण में राज्यों की भागीदारी का सुनिश्चित करने के कारण सहकारी संघवाद को बढ़ावा बढ़ावा मिलेगा।
★ जीएसटी परिषद में राज्यों को दो तिहाई मतदान की शक्तियां देने तथा जीएसटी संबंधी नीति निर्माण में राज्यों की भागीदारी का सुनिश्चित करने के कारण सहकारी संघवाद को बढ़ावा बढ़ावा मिलेगा।
© नकारात्मक_प्रभाव -
★ जीएसटी में 4 दरें होने के कारण अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि किस वस्तु को किस सिलेब में रखा जाएगा इससे कई प्रकार की भी विसंगति उत्पन्न हो जाएगी।
★ इसके अलावा भारत का करीबन 70 प्रतिशत बाजार असंगठित क्षेत्र में विद्यमान है यह बाजार इंटरनेट सेवाओं से वंचित है ,कंप्यूटर साक्षरता का अभाव है, जीएसटी के ज्ञान की कमी है , इत्यादि कारणों के चलते GST प्रणाली से बाहर रह जाएगा, जिससे सरकार को राजस्व क्षति हो सकती है ।
★जीएसटी लागू होने के परिणाम स्वरुप सेवा क्षेत्र में महंगाई बढ़ेगी क्योकि वर्तमान में 14% तक सेवा शुल्क है लेकिन GST में यह 18%,15% होगा।
★ चूँकि यह एक नवीन कर प्रणाली है इसलिए भारत के पास इसको लागू करने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन का अभाव तथा जनता की जागरूकता का अभाव है इसलिए आगामी दो-तीन वर्षों तक जीएसटी के नकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं।
★ इसके अलावा भारत का करीबन 70 प्रतिशत बाजार असंगठित क्षेत्र में विद्यमान है यह बाजार इंटरनेट सेवाओं से वंचित है ,कंप्यूटर साक्षरता का अभाव है, जीएसटी के ज्ञान की कमी है , इत्यादि कारणों के चलते GST प्रणाली से बाहर रह जाएगा, जिससे सरकार को राजस्व क्षति हो सकती है ।
★जीएसटी लागू होने के परिणाम स्वरुप सेवा क्षेत्र में महंगाई बढ़ेगी क्योकि वर्तमान में 14% तक सेवा शुल्क है लेकिन GST में यह 18%,15% होगा।
★ चूँकि यह एक नवीन कर प्रणाली है इसलिए भारत के पास इसको लागू करने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन का अभाव तथा जनता की जागरूकता का अभाव है इसलिए आगामी दो-तीन वर्षों तक जीएसटी के नकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं।
निष्कर्ष हम कह सकते हैं कि आंशिक नकारात्मक प्रभावों के कारण सकारात्मक प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता, जो जीएसटी के कारण उत्पन्न होंगे । वर्तमान की वैश्विक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मेक इन इंडिया की सफलता को केंद्र में रखते हुए जीएसटी वर्तमान भारत की आवश्यकता है । चूँकि प्रारंभिक कठिनाई अवश्य आएगी लेकिन सरकार द्वारा सतत एवं प्रभावी प्रयास इन कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम होगा ।
1 comment:
Awesome article sir.
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