आज उत्तरप्रदेश सरकार ने 30,729 करोड़ के ऋण माफ़ किये(Waive off)| यह फायदा केवल उन सीमांत किसान(1 एकड़ भूमि धारी ) एवं लघु किसानों(2 एकड़ से कम भूमि)को मिलेगा जिसका ऋण 1 लाख तक का है।
यह ऋण राज्य सरकार वहन करेगी। ऋण की आपूर्ति हेतु राज्य सरकार किसान सहायता बांड जारी करेगी जोकि स्ववित्तपोषित होगा । इस ऋण माफ़ी से उत्तरप्रदेश के लगभग 90% किसानों को राहत मिली है वहीं बैंको का कुछ NPA भी कम होगा।
यह ऋण राज्य सरकार वहन करेगी। ऋण की आपूर्ति हेतु राज्य सरकार किसान सहायता बांड जारी करेगी जोकि स्ववित्तपोषित होगा । इस ऋण माफ़ी से उत्तरप्रदेश के लगभग 90% किसानों को राहत मिली है वहीं बैंको का कुछ NPA भी कम होगा।
कुछ महीने पूर्व विमुद्रिकरण के समय SBI ने विजय माल्या का लोन माफ़ (Write off )किया था ऐसा मीडिया ने जोर सोर से दिखाया बिना तथ्यों की पड़ताल के।
उक्त दोनों बातों में एक कॉमन शब्द उपयोग में लाया गया वह है "ऋण माफ़ी" । हिंदी में यह कॉमन शब्द है लेकिन अंग्रेजी में बहुत अंतर रखते है। पहली स्थति को Waive Off कहा गया है जबकि दूसरी स्थति को Write Off ।
उक्त दोनों बातों में एक कॉमन शब्द उपयोग में लाया गया वह है "ऋण माफ़ी" । हिंदी में यह कॉमन शब्द है लेकिन अंग्रेजी में बहुत अंतर रखते है। पहली स्थति को Waive Off कहा गया है जबकि दूसरी स्थति को Write Off ।
#भिन्नता--
अब इन दोनों शब्दों में बहुत बड़ा अंतर है जो में (Ganpat Singh) आपको बताना चाहूंगा-
■ Waive Off(उत्तर प्रदेश का केस)- इस शब्द का मतलब असल ऋण माफ़ी से है अर्थात Waive off की स्थति में ऋणधारी को ऋण चुकाने का कोई दायित्व नहीं रहेगा।उत्तरप्रदेश के मामले में अब 30,729 करोड़ का भुगतान अब सरकार का दायित्व रह गया है नकि किसान का।
■ Write off( माल्या का केस)- इस शब्द का अर्थ ऋण माफ़ी से कतई नहीं होता हैं।
वास्तव में ऋण बैंक की सम्पति(Assets) होते है जितने ज्यादा ऋण उतनी ज्यादा बैंक की सम्पति और जितनी ज्यादा सम्पति उतनी ही बड़ी बैंक की बैलेंस शीट जितनी बडी बैलेंस शीट उतना ही अधिक निगम कर बैंक को वहन करना पड़ता है।
बैंक के कुछ ऋण ऐसे होते है जिनकी वसूली काफी समय से नहीं हो रही(NPA) ऐसे ऋण एक तो बैंक की बैलेंस शीट बढ़ा के निगम कर बढ़ाते है दूसरी और बैंक को मूलधन भी प्राप्त नहीं हो पाता।
इस स्थति से निपटने के लिए बैंक ऐसे ऋणों को Write off कर देता है जिससे न केवल बैलेंस शीट साफ होती बल्कि कर योग्य राशि भी कम हो जाती है जिससे निगम कर बैंक को कम देना पड़ता हैं।
Write off करने के पश्चात् बैंक ऋण रिकवर कार्य प्रारंभ करती है, जैसे ही रिकवर हो जाएगा तब उस राशि को बैलेंस शीट के सम्पति भाग में दर्शाया जाता है तथा निगम कर का भुगतान किया जाता हैं।
बैंक के कुछ ऋण ऐसे होते है जिनकी वसूली काफी समय से नहीं हो रही(NPA) ऐसे ऋण एक तो बैंक की बैलेंस शीट बढ़ा के निगम कर बढ़ाते है दूसरी और बैंक को मूलधन भी प्राप्त नहीं हो पाता।
इस स्थति से निपटने के लिए बैंक ऐसे ऋणों को Write off कर देता है जिससे न केवल बैलेंस शीट साफ होती बल्कि कर योग्य राशि भी कम हो जाती है जिससे निगम कर बैंक को कम देना पड़ता हैं।
Write off करने के पश्चात् बैंक ऋण रिकवर कार्य प्रारंभ करती है, जैसे ही रिकवर हो जाएगा तब उस राशि को बैलेंस शीट के सम्पति भाग में दर्शाया जाता है तथा निगम कर का भुगतान किया जाता हैं।
अतः माल्या का ऋण माफ़ नहीं किया गया है बल्कि write off किया है जबकि उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों का ऋण माफ़ किया ( Waive Off) किया गया हैं।
धन्यवाद
Regards
Ganpat Singh
धन्यवाद
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Ganpat Singh
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