पायक विद्रोह के 200 वर्ष एवं प्रधानमंत्री महोदय द्वारा सम्मान
- हाल ही में प्रधानमंत्री महोदय ने उड़ीसा के उन 16 परिवारों को सम्मानित करने का निर्णय लिया जिनके पूर्वजों ने पायक विद्रोह में अपना सर्वश्व न्योछावर कर दिया था।
विद्रोह की कहानी :-
- वर्ष 1817 में उड़ीसा के खुर्दा क्षेत्र में रहने वाले पायको (पैदल सैनिक ) ने बक्शी जगबंधु (विद्याधर महापात्रे) के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कम्पनी प्रशासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था जिसे कम्पनी द्वारा निर्मम एवं निर्मूल तरीके से दमन किया गया तथा जगबंधु के द्वारा 1825 में आत्मसमर्पण साथ ही यह विद्रोह पूर्णतः समाप्त हो गया।
विद्रोह का कारण :-
- पायको के पास अपनी पैतृक करमुक्त भूमि थी, वर्ष 1803 में जब कम्पनी प्रशासन का अधिपत्य लगभग सम्पूर्ण ओडिसा पर हो गया तब कम्पनी को पायको की यह करमुक्त भूमि अखरने लगी तथा पायको का विद्रोही प्रकार का होना भी अंग्रेज़ों को अखरता था।
- ऐसे में कम्पनी ने वाल्टर ईवर आयोग बैठाया, इस आयोग ने सिफ़ारिश की कि पायको से करमुक्त भूमि छीन ली जाए। यही सिफ़ारिश आंदोलन का मुख्य कारण बनी थी।
- इसके अलावा कम्पनी की भूराजस्व नीति, नमक की कीमतों में वृद्धि भी अन्य कारण बने थे।
200 वर्ष बाद इस प्रकार दफ़न इतिहास को सम्मान के आलोक में प्रकाश में लाया जाना पायको को सच्ची श्रद्धांजलि से कम नहीं है साथ ही साथ भावी सरकारें भी इस प्रकार के कार्यों द्वारा इतिहास को पुनः जीवित करेगी ऐसी उम्मीद अब की जा सकती है। स्वतन्त्रता के बाद यह सम्भवतः पहली बार हुआ है कि विद्रोह पीड़ितों की आगामी पीढ़ियों को सम्मान दिया गया।
धन्यवाद
No comments:
Post a Comment