18 April, 2017

बाड़मेर रिफाइनरी : एक सूक्ष्म विश्लेषण



बाड़मेर रिफाइनरी : एक सूक्ष्म विश्लेषण



इस आलेख में मैं निम्न बातों को शामिल करूँगा -

  • परिचय
  • वर्तमान MoU की विशेषताएँ
  • सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव


परिचय :-


  • वर्ष 2004 में केयर्न एनर्जी द्वारा रिफाइनरी का कांसेप्ट दिया था तत्पश्चात वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार ने HPCL के साथ रिफाइनरी निर्माण का MoU किया गया लेकिन निवेश के रिटर्न और अधिक लागत के कारण आगमी बीजेपी सरकार ने इस MoU की पुनः समीक्षा की तथा नया MoU हस्ताक्षरित किया जा रहा है।
  • बाड़मेर जिले के पचपदरा क्षेत्र के 4800 एकड़ में स्थापित की जाने वाली यह रिफाइनरी भारत की पहली रिफाइनरी होगी जो BS-6 मानक का तेल उत्पादन करेगी। ध्यातव्य है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय BS-3 यान की बिक्री पर प्रतिबन्ध पहले ही लगा चुका है तथा 2020 तक भारत सरकार BS-6 को लागू करने जा रही है। इस प्रकार यह इकोफ्रेंडली रिफाइनरी होगी जो कम से कम प्रदूषण करेगी।
  • अगर क्रम की बात करें तो भारत की यह 26 वीं तथा राज्य की प्रथम रिफाइनरी होगी।
  • इसकी क्षमता 9 मिलियन मैट्रिक टन प्रतिवर्ष तेल उत्पादन की होगी तथा लगने वाले उपकरण 30 वर्ष तक कार्य करने की क्षमता रखते हैं।
  • यह केवल रिफाइनरी ही नहीं बल्कि पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स भी होगा। इस कॉम्प्लेक्स में रिफाइनरी में तेल शोधन के दौरान निकलने वाले रसायनों जैसे एसिटिलीन, बेंजीन, ईथेन, एथिलीन, मेथेन, प्रोपेन इत्यादि से विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे फाइबर, प्लास्टिक तथा इलास्टमेर इत्यादि तैयार किये जाएंगे।
  • अगर इस रिफाइनरी को मूर्त रूप दिया जाता है तो इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बाद यह राज्य की सबसे बड़ी परियोजना होगी।


वर्तमान MoU एवं पूर्व MoU में अंतर तथा वर्तमान MoU की की मुख्य बातें :-


  1. रिफाइनरी की कुल परियोजना लागत 43,129 करोड़ आंकी गयी है जिसका 74% HPCL तथा 26% राजस्थान सरकार देगी। पहले यह लागत 37,000 करोड़ थी लेकिन BS-6 का किये जाने के कारण इसकी लागत 6,000 करोड़ बढ़ गयी।
  2. राज्य सरकार इस सम्पूर्ण परियोजना में 20,865 करोड़ रुपये (26% हिस्सेदारी राशि+1123 करोड़ वार्षिक VGF के) निवेश करेगी । HPCL को इस निवेश का 12% लाभ सरकार को देना होगा पहले यह लाभ 2% निर्धारित किया था। पहले MoU में VGF 3736 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष देने का एलान सरकार ने किया था जो कि 15 वर्ष के लिए ब्याज रहित था, लेकिन नवीन MoU में यह 1123 करोड़ रुपये रखा है।
    (VGF- वायबल गैप फंडिंग अर्थात सरकार द्वारा निवेशक को प्रोत्साहित करने तथा आर्थिक हित वाली परियोजना का आधारभूत संरचना विकास करने के लिए दिया जाने वाला अनुदान VGF कहलाता है। याद रहे यह कुल परियोजना लागत के 20% से ज्यादा नहीं हो सकता।)
  3. रिफाइनरी संचालन के लिए करीबन 200 मेगावाट विद्युत की आवश्यकता रहेगी। इस आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए रिफाइनरी के पास ही एक विद्युत संयंत्र लगया जाएगा। यह संयंत्र रिफाइनरी के कचरे (पेटकोक) से 250 मेगावाट विद्युत निर्मित करेगा जिससे न केवल कचरे का निस्तारण होगा बल्कि रिफाइनरी की विद्युत आपूर्ति भी निर्बाध रूप से संचालित हो सकेगी। पहले यह आपूर्ति तेल कुओं से निकलने वाली गैस का संयंत्र लगाकर होनी थी अब इस गैस का उपयोग पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स के लिए होगा।
  4. भविष्य में अगर कच्चा तेल आपूर्ति बाड़मेर से अगर न हो पाती है तो बाहर से तेल निर्यात किया जाएगा, इससे जो वित्तीय भार बढ़ेगा उसको वहन HPCL द्वारा किया जाएगा न कि राज्य सरकार द्वारा। पहले MoU में इसका कोई प्रावधान नहीं था।


सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव:-


  • बाड़मेर क्षेत्र जो कि आज भी राज्य के अन्य क्षेत्रों से काफी पिछड़ा क्षेत्र माना जा रहा था अगर रिफाइनरी स्थापित हो जाती है तो आधारभूत संरचना का विकास, हज़ारों की संख्या में रोज़गार सृजन, सैंकड़ों सनराइज उद्योग स्थापित होंगे तथा अब तक विलग पड़ा बाड़मेर विश्व के मानचित्र पर अपनी पहचान स्थापित करेगा।
  • राज्य को वर्ष भर में 30,000 करोड़ रुपये की आमदनी होगी। राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी।
  • बाड़मेर के कुओं से निकलने वाला कच्चा तेल जो वर्तमान में मेंगलोर, जामनगर भेजा जा रहा था, अब बाड़मेर में रिफाइन होने से परिवहन लागत कम होगी तथा राज्य की ऊर्जा आवश्यकताएँ पूर्ण हो पाएगी।
  • रिफाइनरी से उत्पन्न जागरूकता से शिक्षा का विकास होगा, क्षेत्र में आर्थिक पिछड़ापन दूर होगा, लोग कौशल विकास के लिए प्रेरित होंगे जिससे जीवन स्तर में सुधार आयेगा।
  • थार क्षेत्र जो जीवाश्म खनिजों का भंडार माना जा रहा है रिफाइनरी स्थापना से थार क्षेत्र के संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित होगा। ध्यातव्य है कि पाकिस्तान थार के भण्डारों का उपयोग लम्बे समय से कर रहा है।
  • अंतराष्ट्रीय सीमा नज़दीक होने के कारण युद्धजन्य स्थितियों में दुश्मन का निशाना बना सकती है। रिफाइनरी ऐसी स्थिति में सामरिक एवं सुरक्षा दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है।
  • रिफाइनरी ऐसे क्षेत्र में बनाई जा रही है जहाँ कभी खारवाल लोग नमक उत्पादन करके अपना जीवन यापन करते थे हालांकि रिफाइनरी से इन लोगों को आजीविका तो सुलभ हो जाएगी लेकिन प्राचीन ऐतिहासिक पचपदरा झील अपना अस्तित्व खो देगी।
  • यद्यपि यह रिफाइनरी कम प्रदूषण एवं इकोफ्रेंडली प्रकार की होगी जिसके चारों और ग्रीनबेल्ट बनाया जाएगा लेकिन उसके बावजूद भी इस क्षेत्र का कमज़ोर पारिस्थितिकी नष्ट होने के कगार पर आ जाएगा
  • अभी तक स्थापित सभी रिफाइनरीज का अनुभव यह बताता है कि संबंधित क्षेत्र में अम्ल वर्षा से ज़मीन बंजर होने, रिफाइनरी के रासायनिक एवं दूषित जल से आस-पास की कृषि भूमि बंजर होने तथा वायु प्रदूषण से स्थानीय जनता को स्वास्थ्य की क्षति होगी।


                                                 अतः विभिन्न सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों को विश्लेषण के बाद निष्कर्ष यह निकलता है कि आर्थिक विकास के लिए लिए जाने वाले फ़ैसलें राजनीतिक नहीं होने चाहिए। अतः सरकार को MoU से पहले परियोजना के सभी पक्षों पर सूक्ष्म एवं पैनी दृष्टि से विश्लेषण कर लेना चाहिए ताकि यह परियोजना हर वर्ग के लिए लाभकारी हो।

धन्‍यवाद

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