वन बेल्ट वन रोड़ परियोजना (PART : 4)
- भाग-1 : इसमें मैंने (Ganpat Singh) परियोजना का परिचय, चीन के उद्देश्य, परियोजना हेतु वित्तीयन व्यवस्था का समावेशन किया था। Click Here...
- भाग-2 : इस आलेख में परियोजना के दोनों भागों की संक्षिप्त जानकारी तथा भाग प्रथम (बेल्ट परियोजना) की योजनाओं यूरोप-चीन रेलवे लाइन तथा चीन-तेहरान रेलवे लाइन का परिचय दिया गया। Click Here...
- भाग-3 : इसमें बेल्ट परियोजना की CPEC योजना व भारत -चीन आर्थिक गलियारा का परिचय दिया। Click Here...
- भाग-4 : इस आलेख में परियोजना का द्वितीय भाग (रोड परियोजना) की संक्षिप्त जानकरी तथा उसकी उप-योजनाओं का परिचय दे रहा हूँ....[You are here....]
- भाग -5 : इसमें सम्पूर्ण परियोजना व भारत का पक्ष, चिंताएं, चुनौतियों तथा प्रतियुत्तर पर आलेख लिखूंगा।
वन बेल्ट वन रोड़ परियोजना (PART : 4)
मेरीटाइम सिल्क रोड :-
- चीन सरकार की वन बेल्ट वन रोड़ परियोजना के दूसरे भाग में हम "वनरोड" पर प्रकाश डालेंगे। वन राेड. परियोजना पूर्ण रूप से सागरीय क्षेत्र से होकर गुजरेगी।
- इस परियोजना का प्रारंभ चीन के जियांग प्रांत के ग्वांगझू शहर से होता है।
- तत्पश्चात यह वन रोड़ दक्षिणी चीन सागर में प्रवेश करती है।
- यहां से होकर मलक्का जलसंधि से होते हुए भारतीय सागर में प्रवेश करती है।
- तत्पश्चात श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से होते हुए दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित केन्या बंदरगाह तक पहुंचती है।
- उसके बाद स्वेज नहर से होते हुए सूडान के खारतूम बंदरगाह तक पहुंचती है। सूडान से तुर्की के इस्तांबुल शहर को जोड़ते हुए, होलैंड के रोटरडम शहर तक यह वन रोड़ परियोजना निर्मित की जा रही है।
- इस परियोजना को 21वीं शताब्दी का न्यू मेरीटाइम सिल्क रोड़ एवं इकनोमिक बेल्ट (MSREB) नाम दिया गया है ।
- इस परियोजना के जरिए चीन, अफ्रीका के बाज़ार में अपनी पहुंच बनाएगा भारतीय महासागर तथा दक्षिणी चीन सागर में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाएगा, विभिन्न देशों के बन्दरगाहों तथा जलसंधियों पर आधारभूत संरचना का विकास कार्य करवाकर अपनी वाणिज्यक एवं सैन्य गतिविधियों का संचालन करेगा तथा भू राजनीतिक सिद्धांत पर कार्य करते हुए अपना आर्थिक एवं राजनीतिक प्रभाव दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया, अफ्रीका में बढ़ाएगा।
स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स :-
- वन रोड़ परियोजना के भाग के रूप में स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स को देखा जा रहा है। मोतियों की माला की यह नीति भारत को भारतीय सागर में ही तीनों ओर से घेरने की चीनी सरकार की नीति है जिसे चीन द्वारा अंजाम तक पहुंचा भी दिया है।
- यह नीति भारत को घेरने के अलावा मेरीटाइम सिल्क रोड़ को भी अंतिम रूप देने में मदद करेगी। इस नीति के अंतर्गत चीन ने अपनी वाणिज्यक एवं सैन्य गतिविधियों के संचालन हेतु कंबोडिया के बंदरगाह, थाईलैंड का लिम चबंग बंदरगाह, म्यान्मार का सितवे बंदरगाह, बांग्लादेश का चटगांव बंदरगाह, श्रीलंका कोलंबो व हंबनटोटा बंदरगाह, पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह तथा सूडान का खारतूम आदि बंदरगाहों को अनुबंध पर लिया है, तथा यहां पर विभिन्न प्रकार के विकास कार्य चीन सरकार द्वारा करवाए जा रहे हैं।
- इस नीति के जरिए ना केवल भारत को तीन और से घिरा जाएगा बल्कि विश्व तेल एवं गैस व्यापार के चार प्रमुख चेक पॉइंट को भी अपने नियंत्रण में लिया जा रहा है यथा लाल सागर व अदन की खाड़ी को जोड़ने वाला बाबलमंडप जलसंधि, मलेशिया सुमात्रा के मध्य मलक्का जलसंधि, परशियन खाड़ी व ओमान की खाड़ी के मध्य हरमुज़ जलसंधि तथा जावा सागर व भारतीय सागर की मध्य लोंबोक जल संधि इत्यादि ।
- इस प्रकार विभिन्न बंदरगाहों तथा जल संधियों पर अपना अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करना इस बात का संकेत है कि चीन न केवल अपनी वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित करना चाहता है बल्कि इस क्षेत्र में अपना आर्थिक व राजनीतिक प्रभाव भी स्थापित करना चाहता है ताकि उसकी सॉफ्ट कूटनीति का सफल संचालन करके सैनिक गतिविधियों को संचालित करने के साथ-साथ तथा अपना आर्थिक बाज़ार भी स्थापित कर सके।
No comments:
Post a Comment