16 April, 2017

वन बेल्ट वन रोड परियोजना (PART : 3)

   आज के भाग में मैं(Ganpat Singh) बेल्ट परियोजना की अन्य दो योजनाओ CPEC योजना तथा भारत -चीन आर्थिक गलियारा का परिचय दूंगा।

®#चीन_पाकिस्तान_आर्थिक_गलियारा:- (मानचित्र 2,3)
यह वन बेल्ट वन रोड परियोजना का महत्वपूर्ण भाग है ।इस योजना के अंतर्गत चीन के सुदूर पश्चिमी प्रांत जिनजियांग के कासगर क्षेत्र को अरब सागर स्थित पाकिस्तान के दक्षिणी भाग के बंदरगाह ग्वादर से जोड़ा जाएगा । यह परियोजना करीबन 55 बिलियन अमेरिकन डॉलर की लागत से वर्ष 2030 तक निर्मित होगी।
इस परियोजना के अंतर्गत चीन सरकार पाकिस्तान के अंदर बड़ी मात्रा में ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगी , आधारभूत संरचना के विकास के कार्य करेगी, तथा सड़क मार्ग एवं रेल मार्ग के निर्माण के जरिए ग्वादर तक अपनी पहुंच बनाएगी। 11 अमेरिकन बिलियन डॉलर जहां आधारभूत संरचना पर व्यय किए जाएंगे वही 35 अमेरिकन बिलियन डॉलर ऊर्जा संयंत्र के निर्माण पर व्यय किए जाएंगे तथा 9 बिलियन डॉलर अन्य आधारभूत संरचना के विकास पर व्यय किया जाएगा।
इस परियोजना के अंतर्गत तीन हाईवे का निर्माण किया जाएगा यथा-
१.काराकोरम राजमार्ग 1300 किलोमीटर;
२. सिंधु राजमार्ग 1264 किलोमीटर तथा
३ .मकरान राजमार्ग 653 किलोमीटर।
इस परियोजना के पीछे चीन ,पाकिस्तान के कई हित जुड़े हैं तो भारत भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रहा है।
©#चीन_के_हित:-
★चीन की वर्तमान ऊर्जा जरूरत है मध्य के जरिए पूर्ण होती है ।मध्य एशिया से बड़ी मात्रा में तेल एवं गैस भारतीय सागर, मलक्का जलसंधि तथा दक्षिणी चीन सागर होते हुए चीन के पूर्वी भाग तक पहुँचता हैं। करीबन 10000 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद इस आपूर्ति को दो से तीन माह लग जाते हैं यह परियोजना पूर्ण होने के बाद यह दूरी और समय घटके दहाई के अंकों में आ जाएंगे जिससे चीन को सस्ती व सुलभ ऊर्जा संशाधन प्राप्त होंगे;
★भविष्य में युद्ध जन्य स्थिति अगर उत्तपन हो जाती है तो अमेरिका मलक्का जलसन्धि तथा दक्षिण चीन सागर को आसानी से ब्लोकेड कर सकता है वही भारत भारतीय सागर में चीन को आपूर्ति को रोक सकता है। अतः चीन ऐसी कोई भविष्यगत चिंता उतपन्न होने नहीं देना चाहता इसलिए इस परियोजना के जरिये सीधे ही ऊर्जा संशाधनों तक पहुंच बन जाएगी;
★ग्वादर बन्दरगाह की प्राप्ति चीन के लिए संजीवनी का काम करेगी , इस बन्दरगाह के जरिये चीन न केवल पर्सियन खाड़ी तक बल्कि अरब सागर में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाके हरमुज जलसन्धि पर नियंत्रण बनाने में कामयाब होगा;
★पाकिस्तान को 55 अमेरिकन मिलियन डॉलर उधार देकर ना केवल परियोजना को पूर्ण करेगा बल्कि पाकिस्तान से ब्याज सहित यह राशि वापस भी लेगा जिससे चीन अपने निवेशकों को आसानी से भुगतान कर सकेगा ;
★चीन का पश्चिमी प्रांत (जिंजिअंग)आज भी अल्पविकसित व उबड़-खाबड़ क्षेत्र है ऐसे में इस परियोजना के जरिए इस क्षेत्र के विकास हेतु चीन हर संभव प्रयास करेगा। जिस से भविष्य में भारत के साथ युद्ध जन्य स्थिति अगर उत्पन्न होती है तो यह क्षेत्र सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
©#पाकिस्तान_के_हित:-
★वर्तमान में पाकिस्तान में लगातार ऊर्जा संकट बना हुआ है। इस परियोजना के अंतर्गत चीन 35 बिलियन अमेरिकन डॉलर ऊर्जा परियोजनाओ पर व्यय करेगा , ताकि पाकिस्तान की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सके ।(ऊर्जा संकट से उबरेगा);
★पाकिस्तान में लगातार रोजगार सृजन में कमी के चलते बेरोजगारी व्याप्त है ।इस परियोजना के माध्यम से पाकिस्तान में रोजगार सृजन संभव होगा इससे बेरोजगारी कम होगी परिणामस्वरूप ना केवल पाकिस्तान की जीडीपी में वृद्धि होगी बल्कि पाकिस्तान के राजस्व में भी वृद्धि होगी ;
★चीन ने इस परिजनों को पूर्ण करने के लिए अपने श्रमिक पाकिस्तान में लगा रखे हैं इन चीनी श्रमिकों की सुरक्षा का दायित्व पाकिस्तान के विशेष सुरक्षा विभाग(SSD) के पास है। इस विभाग का संपूर्ण व्यय पाकिस्तान को करना होगा। पहले से ही पाकिस्तान का चालू खाता घाटा 120% तक जा चुका है ऐसे में पाकिस्तान और घाटे में जा सकता है;
★चीन में इस परियोजना के लिए पाकिस्तान को 35 बिलियन अमेरिकन डॉलर का कर्ज दिया है ।जिसे पाकिस्तान को 25 वर्ष के अंदर 17 से 20% रिटर्न के साथ चीनी डेवलपमेंट बैंक तथा चीनी एग्जिम बैंक को वापस लौटाना है ।ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के लिए यह आसान नहीं होगा कि वह इतना बड़ा ऋण ब्याज सहित लौटा सके । ऋण भुगतान न करने की स्थिति में पाकिस्तान को कुछ क्षेत्र खोने पड़ सकते हैं जैसा कि श्रीलंका को हंबनटोटा को खोना पड़ा;
★बलूचिस्तान जो दुनिया के उन समृद्ध क्षेत्रों में से एक हैं जहाँ स्वर्ण एवं कॉपर के बडी मात्रा में भंडार हैं , इस परियोजना के अंतर्गत इन संशाधनों का उपयोग हो सकेगा।
©#भारत_के_हित:-
★चूंकि पड़ोसी देश होने के नाते अगर पाकिस्तान का आर्थिक विकास होता है, तो भारत के साथ अधिक व्यापार और व्यवसाय पाकिस्तान करेगा ऐसी हम उम्मीद रखते हैं ।
★साथ ही साथ यह भी उम्मीद रखते हैं कि धार्मिक उन्माद एवं आंतकवादी गतिविधियां समाप्त होगी तथा शांति व्यवस्था स्थापित होगी ।
★लेकिन साथ ही साथ भारत को इस परियोजना से विरोध भी है - यह परियोजना पाक अधिकृत कश्मीर(Pok) से होकर गुजर रही है ऐसे में भारत का विरोध जायज है क्योंकि भारत नहीं चाहता कि काराकोरम राजमार्ग क्षेत्र POK से गुजरे ।
अगर ऐसा होता है तो भविष्य में POK एक डिस्प्यूटेड एरिया ना होकर पाकिस्तान का क्षेत्र माना जा सकता हैं।
★भारत की दूसरी समस्या चीन की ग्वादर के जरिए अरब सागर में उपस्थिति हैं। चीन ने यहां पर बड़ी मात्रा में अपनी नौसेना स्थापित कर रखी है । भावी युद्ध जन्य स्थितियों में भारत के लिए यह बिल्कुल भी आसान नहीं होगा।
®#भारत_चीन_आर्थिक_गलियारा (मानचित्र1):-
चीन से गुजरात के जामनगर के मध्य यह गलियारा प्रस्तावित था लेकिन वर्तमान में भारत व चीन के मध्य के तल्ख रिश्तों व उदासीनता के कारण यह प्रस्तावित गलियारा ठंडे बस्ते में चल गया।

धन्यवाद
आभार
Ganpat Singh

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