वन बेल्ट वन रोड परियोजना (OBOR) - (PART : 1)
इस परियोजना को हम भिन्न भिन्न भागों में समझेंगे तथा एक से अधिक आलेख मैं (Ganpat Singh) इस टॉपिक के आगामी दिनों में लिखूंगा आलेख की इस श्रंखला में निम्न बिंदुओं पर प्रकाश डालूंगा-
१.परियोजना का परिचय;
२.परियोजना के पीछे चीन सरकार के उद्देश्य;
३.परियोजना हेतु वित्तीयन;
४.परियोजना के दोनों भाग का विश्लेषण;
५.परियोजना के संबंध में भारत का पक्ष एवं प्रतियुत्तर।
२.परियोजना के पीछे चीन सरकार के उद्देश्य;
३.परियोजना हेतु वित्तीयन;
४.परियोजना के दोनों भाग का विश्लेषण;
५.परियोजना के संबंध में भारत का पक्ष एवं प्रतियुत्तर।
(प्रथम भाग- प्रथम तीन बिन्दुओ पर प्रकाश )
©#परियोजना_का_परिचय:-
चीनी सरकार की इस महत्वकांक्षी परियोजना का प्रारंभ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सितंबर, 2013 में किया।
यह योजना दूसरी शताब्दी के प्राचीन कालीन रेशम मार्ग से प्रेरित है । ज्ञातव्य है कि दूसरी शताब्दी में एशियाई क्षेत्रों से यूरोपियन क्षेत्रों तक जिस रास्ते से व्यापारिक कार्य होते थे , इसे रेशम मार्ग नाम दिया गया था। क्योंकि इस मार्ग से अधिक मात्रा में रेशम मध्य एशिया व यूरोप को भेजा जाता था । चीनी सरकार ने निर्णय लिया कि इस रास्ते को पुनः नवीकृत करके नवीन रूप दिया जाएगा ।
इस परियोजना के अंतर्गत चीन का संपर्क व पहुंच यूरेशिया , मध्य एशिया ,अफ्रीका ,दक्षिण एशिया,पूर्वी एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप तक सुनिश्चित हो जाएगी , जिससे ना केवल इन क्षेत्रों के भू आबद्ध देशों को समुद्री परिवहन का फायदा मिलेगा बल्कि चीन के आर्थिक व राजनीतिक हित भी साधे जा सकेंगे ।
इस परियोजना के अंतर्गत चीन सरकार सड़क मार्गों , रेल मार्गों ,जल मार्गों , तेल व गैस पाइपलाइनों तथा परिवहन से सम्बंधित आधारभूत संरचना का निर्माण व विकास करवा रही है, ताकि भागीदार देश तक चीन की कनेक्टिविटी आसान हो सके।वर्तमान तक इस परियोजना में 60 देश शामिल हो चुके हैं , भारत अभी तक इसमे शामिल नहीं हुआ हैं।
यह योजना दूसरी शताब्दी के प्राचीन कालीन रेशम मार्ग से प्रेरित है । ज्ञातव्य है कि दूसरी शताब्दी में एशियाई क्षेत्रों से यूरोपियन क्षेत्रों तक जिस रास्ते से व्यापारिक कार्य होते थे , इसे रेशम मार्ग नाम दिया गया था। क्योंकि इस मार्ग से अधिक मात्रा में रेशम मध्य एशिया व यूरोप को भेजा जाता था । चीनी सरकार ने निर्णय लिया कि इस रास्ते को पुनः नवीकृत करके नवीन रूप दिया जाएगा ।
इस परियोजना के अंतर्गत चीन का संपर्क व पहुंच यूरेशिया , मध्य एशिया ,अफ्रीका ,दक्षिण एशिया,पूर्वी एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप तक सुनिश्चित हो जाएगी , जिससे ना केवल इन क्षेत्रों के भू आबद्ध देशों को समुद्री परिवहन का फायदा मिलेगा बल्कि चीन के आर्थिक व राजनीतिक हित भी साधे जा सकेंगे ।
इस परियोजना के अंतर्गत चीन सरकार सड़क मार्गों , रेल मार्गों ,जल मार्गों , तेल व गैस पाइपलाइनों तथा परिवहन से सम्बंधित आधारभूत संरचना का निर्माण व विकास करवा रही है, ताकि भागीदार देश तक चीन की कनेक्टिविटी आसान हो सके।वर्तमान तक इस परियोजना में 60 देश शामिल हो चुके हैं , भारत अभी तक इसमे शामिल नहीं हुआ हैं।
©#परियोजना_के_पीछे_चीन_के_उद्देश्य:-
इस परियोजना के पीछे चीनी सरकार के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार है -
★[ Investment]चीन सरकार ने अपने घरेलू निवेशको तथा स्थानीय सरकारों से बहुत बड़ी मात्रा में आधारभूत संरचना के विकास में निवेश के नाम पे बड़ी मात्रा में ऋण लिए हैं, अब चीन में अर्थव्यवस्था की अस्थिरता के चलते चीन सरकार उन ऋणों को अर्थात निवेश राशि को निवेशकों को लौटाने में सफल नहीं हो पा रही है , इस समस्या के समाधान के रूप में चीनी सरकार ने एशिया आधारभूत संरचना निवेश बैंक (AIIB) का गठन किया तथा इसके जरिए निवेशकों की इस राशि को इस परियोजना में निवेशित किया जाएगा ।जिससे निवेशकों को अपनी राशि भी वापस प्राप्त हो जाएगी तथा चीन भी एक क्षेत्रीय नेता से वैश्विक नेता के रूप में उभरकर सामने आएगा।
★[Export]चीन एक निर्यातजन्य अर्थव्यवस्था है । वर्तमान में चीन की अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है, ऐसे में चीन के निर्यात बाजार को और अधिक सशक्त करने की आवश्यकता है ताकि चीन आर्थिक स्थिरता की और आ सके। इस परियोजना के माध्यम से चीन की पहुंच 60 देशों के बाजार तक हो जाएगी तथा परियोजना की सीधी पहुँच के चलते परिवहन लागत भी कम आएगी जोकि चीनी वस्तुओं को और सस्ता करेगी जिससे निर्यात आवर्धन निश्चित ही होगा।
★[Response and Global Dominance]चीन की इस परियोजना को शीत युद्ध कालीन अमेरिका की परियोजना मार्शल सिद्धांत के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है । इस परियोजना की आड़ में चीन लगभग संपूर्ण एशिया, अफ्रीका एवं यूरोप के कई देशों में निर्माण कार्य करवाने, वित्तिय मदद देने जैसे कार्य करके अपना प्रभुत्व स्थापित करेगा जोकि चीन को वैश्विक नेता बनाएगा।
★[Development] चीन का पश्चिमी भाग एक प्रकार का बंज़र,उबड़-खाबड़,अविकसित एवं उद्योग रहित क्षेत्र है(लभगभ-90% क्षेत्र चीन का) । चीन सरकार चाहती है कि इस परियोजना के जरिए चीन के इस क्षेत्र को विकसित किया जाए ।
★[Energy]इस परियोजना के माध्यम से चीन की पहुंच मध्य एशिया के तेल व गैस क्षेत्र तक हो जाएगी जिससे चीन की ऊर्जा जरूरतों को पूर्ण करने में चीन को आसानी होगी ।
★[ Investment]चीन सरकार ने अपने घरेलू निवेशको तथा स्थानीय सरकारों से बहुत बड़ी मात्रा में आधारभूत संरचना के विकास में निवेश के नाम पे बड़ी मात्रा में ऋण लिए हैं, अब चीन में अर्थव्यवस्था की अस्थिरता के चलते चीन सरकार उन ऋणों को अर्थात निवेश राशि को निवेशकों को लौटाने में सफल नहीं हो पा रही है , इस समस्या के समाधान के रूप में चीनी सरकार ने एशिया आधारभूत संरचना निवेश बैंक (AIIB) का गठन किया तथा इसके जरिए निवेशकों की इस राशि को इस परियोजना में निवेशित किया जाएगा ।जिससे निवेशकों को अपनी राशि भी वापस प्राप्त हो जाएगी तथा चीन भी एक क्षेत्रीय नेता से वैश्विक नेता के रूप में उभरकर सामने आएगा।
★[Export]चीन एक निर्यातजन्य अर्थव्यवस्था है । वर्तमान में चीन की अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है, ऐसे में चीन के निर्यात बाजार को और अधिक सशक्त करने की आवश्यकता है ताकि चीन आर्थिक स्थिरता की और आ सके। इस परियोजना के माध्यम से चीन की पहुंच 60 देशों के बाजार तक हो जाएगी तथा परियोजना की सीधी पहुँच के चलते परिवहन लागत भी कम आएगी जोकि चीनी वस्तुओं को और सस्ता करेगी जिससे निर्यात आवर्धन निश्चित ही होगा।
★[Response and Global Dominance]चीन की इस परियोजना को शीत युद्ध कालीन अमेरिका की परियोजना मार्शल सिद्धांत के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है । इस परियोजना की आड़ में चीन लगभग संपूर्ण एशिया, अफ्रीका एवं यूरोप के कई देशों में निर्माण कार्य करवाने, वित्तिय मदद देने जैसे कार्य करके अपना प्रभुत्व स्थापित करेगा जोकि चीन को वैश्विक नेता बनाएगा।
★[Development] चीन का पश्चिमी भाग एक प्रकार का बंज़र,उबड़-खाबड़,अविकसित एवं उद्योग रहित क्षेत्र है(लभगभ-90% क्षेत्र चीन का) । चीन सरकार चाहती है कि इस परियोजना के जरिए चीन के इस क्षेत्र को विकसित किया जाए ।
★[Energy]इस परियोजना के माध्यम से चीन की पहुंच मध्य एशिया के तेल व गैस क्षेत्र तक हो जाएगी जिससे चीन की ऊर्जा जरूरतों को पूर्ण करने में चीन को आसानी होगी ।
©#वित्तीयन_व्यवस्था:-
इस परियोजना हेतु चीन चार भिन्न स्रोतों से वित्तीय व्यवस्था कर रहा है -
◆एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक(AIIB)
◆चाइना डेवलपमेंट बैंक(CDB)
◆सिल्क रुट फण्ड(SRF)
◆भागीदार देशों से समझौतों के अंतर्गत वित्तीयन।
◆एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक(AIIB)
◆चाइना डेवलपमेंट बैंक(CDB)
◆सिल्क रुट फण्ड(SRF)
◆भागीदार देशों से समझौतों के अंतर्गत वित्तीयन।
【आगामी भाग में अन्य बिन्दुओ पर प्रकाश डालूंगा।】
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