उत्तर-पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश , नागालैंड एवं मिजोरम के नागरिकों तथा स्थानीय संस्कृति को विशेष संरक्षण देने के उद्देश्य से भारतीय नागरिकों तथा विदेशियों को इन तीनों राज्यों में प्रवेश हेतु विशेष प्रकार की अनुमति लेनी पड़ती हैं | विदेशी नागरिकों और भारतीय नागरिकों दोनों के लिए भिन्न प्रकार की व्यवस्था अपनाई गयी हैं| भारतीय नागरिकों द्वारा इन राज्यों में प्रवेश के लिए जो अनुमति ली जाती है उसे इनर लाइन परमिट कहा जाता है|
क्या हैं इनर लाइन परमिट व्यवस्था :
इनर लाइन परमिट की पृष्ठभूमि :
- दरअसल ब्रिटिश सरकार ने स्थानीय संस्कृति को संरक्षण देने के उद्देश्य से वर्ष 1873 में एक बंगाल सीमांत प्रावधान अधिनियम लाया था | इस प्रकार के अधिनियम की पृष्ठभूमि में स्थानीय संस्कृति के संरक्षण के साथ साथ अंग्रेजो के व्यवसायिक उद्देश्य भी थे |
- चूँकि उस समय उक्त तीनों राज्य बंगाल प्रान्त के हिस्सा थे इसलिए 1873 के प्रावधान केवल इन तीनों क्षेत्रों पे ही प्रभावी हुए | मणिपुर एक रियासत के रूप में था इसलिए यह कानून यहाँ पे लागू नहीं हो पाए | स्वतन्त्रता के उपरांत भारत सरकार ने उक्त तीनों राज्यों की संस्कृति को संरक्षण तथा स्थानीय जनता के अधिकारों की सुरक्षा के उद्देश्य से इनर लाइन परमिट व्यवस्था को जारी रखा जोकि आज भी बना हुआ हैं |
क्या हैं इनर लाइन परमिट व्यवस्था :
- अगर कोई विदेशी नागरिक है और उसे उपरोक्त तीन राज्यों में घुमने के लिए जाना है तो पहले यह व्यवस्था थी की उस विदेशी को प्रतिबंधित क्षेत्र अनुमति (RAP) या संरक्षित क्षेत्र अनुमति (PAP) प्राप्त करनी होती थी| इस अनुमति के बाद ही उस नागरिक को इन राज्यों में प्रवेश की अनुमति मिलती थी |लेकिन बाद में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने यह व्यवस्था समाप्त कर दी तथा इसके स्थान पर नई व्यवस्था लागू की जिसके तहत विदेशी नागरिक को इन राज्यों में प्रवेश से २४ घंटे पहले विदेश पंजीकरण कार्यालय (FRO)में अपना पंजीकरण करवाना होता हैं |
- अगर कोई भारतीय नागरिक है जिसका सम्बन्ध उक्त तीनों राज्यों से नहीं है ,और उसको अगर इन तीन राज्यों में घुमने जाना है , तो उस नागरिक को सम्बन्धित राज्य सरकार से एक अनुमति प्राप्त करनी होगी जिसे इनर लाइन परमिट कहते हैं | इस अनुमति के बिना अगर आप इन तीन राज्यों में मिल गये तो कानूनी कार्यवाही तय हैं |
- हालाँकि यह परमिट व्यवस्था केंद्र सरकार के कर्मचारियों तथा सैन्य सेवाओं के सन्दर्भ में लागू नहीं होता | इस परमिट के जरिये आप इन राज्यों में केवल भ्रमण ही कर सकते हो न स्थायी रूप से रह सकते , न इन राज्यों के स्थानीय नागरिक से शादी कर सकते और न ही इन राज्यों में जमीन खरीद सकते |
- पाकिस्तान , बांग्लादेश , म्यांमार तथा चीन के किसी नागरिक को इनर लाइन परमिट देने का उत्तरदायित्व भारत सरकार के गृह मंत्रालय का हैं वहीँ विदेशी कूटनीतिज्ञों तथा अंतराष्ट्रीय संगठनों को इनर लाइन परमिट देने का उत्तरदायित्व बाह्य मामलों का मंत्रालय भारत सरकार का है|
मणिपुर राज्य के नागरिकों द्वारा लम्बे समय से मांग की जा रही है की मणिपुर में भी इनर लाइन परमिट व्यवस्था लागू हो मगर भारत सरकार ने कई दफा इस मांग को ठुकराया गया हैं | नतीजतन यह मांग आन्दोलन का रूप ले चुकी है | ऐसे में इनर लाइन परमिट व्यवस्था पूरी तरह से विवाद का केंद्र बनी हुई हैं | अगर यह व्यवस्था समाप्त की जाती है तो म्यांमार , बांग्लादेश जैसे देशों के नागरिक अवैध तरीके से यहाँ घुसपैठ करेंगे और सम्भव है की यहाँ के नागरिक भी बन जाएँगे जैसा की असम, पश्चिम बंगाल और मेघालय में हुआ और कई अन्य राज्यों में भी हो रहा हैं| जिसकी वजह से बोडोलैंड और गोरखालैंड जैसे दंगे इन तीन राज्यों में भी सम्भाव्य हो जाएँगे | इन सम्भावनाओं को देखते हुए इनर लाइन परमिट व्यवस्था उचित ठहराई जा सकती है , वहीँ दूसरी और मणिपुर जैसे कई अन्य राज्य भी इस व्यवस्था से प्रेरित होकर एसी ही मांग कर रहे है जो की राष्ट्रीय एकता के लिए किंचित मात्र भी ठीक नहीं हैं |
आभार
गणपत सिंह राजपुरोहित
आभार
गणपत सिंह राजपुरोहित
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